पॉपकॉर्न पर जीएसटी: 2024 के जीएसटी परिषद बैठक की विवादास्पद चर्चा
जीएसटी परिषद की 2024 की हालिया बैठक में पॉपकॉर्न पर कर दरें तय करने को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। परिषद ने यह निर्णय लिया कि बिना पैकेजिंग और बिना लेबल वाले नमकीन पॉपकॉर्न पर 5% जीएसटी, पैकेज्ड और लेबल वाले रेडी-टू-ईट पॉपकॉर्न पर 12% जीएसटी, और कैरामेलाइज्ड पॉपकॉर्न पर 18% जीएसटी लगेगा। इस कदम को लेकर समाज और विपक्षी दलों में गहरी नाराजगी देखने को मिल रही है।

विवाद के कारण
पॉपकॉर्न की अलग-अलग श्रेणियों पर अलग-अलग जीएसटी दरें लगाने का निर्णय कई लोगों को अनुचित और जटिल लगा। विपक्षी नेताओं और आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह जीएसटी के मूल उद्देश्य—सरल कर प्रणाली—के खिलाफ है।
विपक्ष का रुख
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उनका तर्क है कि सरकार आम जनता के दैनिक उपभोग की चीज़ों पर जटिल कर प्रणाली लागू कर रही है, जिससे कर का बोझ बढ़ रहा है।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर इस फैसले का मजाक बनाया जा रहा है। मीम्स और व्यंग्यात्मक टिप्पणियों के जरिए जनता ने जीएसटी परिषद के फैसले पर असंतोष जाहिर किया। कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि एक ही प्रोडक्ट—पॉपकॉर्न—को अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित कर अलग-अलग टैक्स क्यों लगाया जा रहा है।
सरकार का बचाव
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि कैरामेलाइज्ड पॉपकॉर्न में चीनी होने के कारण इसे ‘शुगर कन्फेक्शनरी’ के तहत रखा गया है, जबकि साधारण नमकीन पॉपकॉर्न को ‘नमकीन’ श्रेणी में रखा गया है।
आगे का रास्ता
यह विवाद भारत में जीएसटी प्रणाली की जटिलताओं को फिर से उजागर करता है। कई विशेषज्ञ इस बात पर जोर दे रहे हैं कि जीएसटी प्रणाली को सरल और अधिक तार्किक बनाने की दिशा में कदम उठाए जाने चाहिए।
यह देखना दिलचस्प होगा कि जीएसटी परिषद इस आलोचना का जवाब कैसे देती है और भविष्य में इस प्रकार के निर्णयों पर पुनर्विचार करती है।