रूसी क्रांति
This revolution took place at two different times in 1917, in February and October. The tyranny of the Czarist government led to increased dissatisfaction among Russia's farmers and workers, and the monarchy took control of Russia's conservative church. It is said that the tsarist rule of the Romanova dynasty oppressed the rural peasantry and laborers working in cities. Russian farmers believed that the land they farmed should be theirs, but the landowners and clergy had authority over that land.

The American Revolution began in 1760 and ended in 1783. Even in the American Revolution, there was dissatisfaction among the lower class people, in this revolution they got maximum help from France. The French government sent ammunition through the Navy to help Washington, America. But the biggest mistake was that France's economic condition worsened due to France's entry into the American Revolution. The citizens of France did not like the deteriorating economic condition of France, due to which the dissatisfaction of the people against the government started increasing in France. Gradually the spark started to kindle and in 1789 AD this spark took the form of fire and revolution started in France also. The people around got to learn more from the French Revolution, the result of which is visible in the Russian Revolution.
In Russia, about 67% of the land was owned by the landowners and about 13% was owned by the church and priests. Farmers used to work as laborers in their fields and earn their living. Because of not having my own land, there was always a fear of being snatched away. That's why the farmers revolted in 1860. The next day, in 1861, the Das Pratha was abolished. There was still a small piece of land belonging to the landlords near the farmers. The worst thing was that when the landlord gave a small piece of his land to the farmers, he had to pay some money as tax for it. (The landlord -> gave the field -> to the farmer -> he took the money in exchange. -> The farmer took the land in the guise of a farmer in order to run his life in the face of not having his own land.)
Industry developed very rapidly in Russia. Industrial revolution took place in Russia after 1850. New industries started coming up. External investments started coming but the workers were only from Russia. Workers started being ignored for the benefit of capitalist investors. Russian factories or outside investors started exploiting the workers for more profit. Due to this, the workers faced a lot of difficulties in meeting their daily needs. As a result, satisfaction failed among the workers. N Karno together ignited the flame of revolution in Russia.
Meanwhile, a movement took place in Russia which laid the foundation of the Russian Revolution. At the beginning of the 20th century, Czar Nicholas II was in power in Russia, yes, it was a dictatorship, his policies were not popular among the people. There were wars between Japan and Russia around 1905. When Russia was defeated, the opposition to the Czar in Russia reached its peak in 1905. On January 09, 1905, a crowd of Russian workers along with their wives and children came out to hand over memorandum. Crowded They were going towards the Winter Palace in St. Petersburg, but the soldiers of the autocratic Tsar opened fire. A bloody holi was played on the streets of St. Petersburg, because January 9 was a Sunday, which is known as Bloody Sunday. Many family members were killed in this. The incident of 1905 was said to be the background of the revolution of 1917.
The First World War started in 1914, Russia wanted to expand its empire but faced huge losses and many soldiers were killed. This war weakened Russia socially and economically. The government imposed huge taxes on the people to pay for the war. This increased the financial burden on the general public. People faced starvation and insecurity. People's confidence fell and hence anger arose among them.
Daily conditions in farmers were already bad, and on top of that, people held the monarchy responsible for the famine of 1916–17, an anger that eventually turned into revolution.
यह क्रांति 1917 में फरवरी और अक्टूबर में दो अलग-अलग समय पर हुई। जारवादी सरकार का अत्याचार रूस के किसानो और मजदूरों के बीच संतोष बढ़ने लगी वही रूस के रुढ़ी वादी चर्च पर राजशाही का नियंत्रण हो गया। ऐसा कहा जाता है कि रोमानोवा राजवंश के जारशाही शासन ने ग्रामीण किसान वर्ग और शहरों में काम करने वाले मजदूरों पर अत्याचार किया। रूसी किसानों का मानना था कि जिस ज़मीन पर वे खेती कर रहे हैं वह उनकी होनी चाहिए, लेकिन उस ज़मीन पर जमींदारों और पादरियों का अधिकार था।
1760 में अमेरिकी क्रांति की शुरुआत हुई और 1783 में ख़तमा हो गया। अमेरिकी क्रांति में भी निम्न वर्ग के व्यक्तियों के बीच अशांतोषजनक था, इस क्रांति में उनको सबसे ज्यादा सहायता फ्रांस से मिली। फ्रांस की सरकार ने वाशिंगटन, अमेरिका की सहायता के लिए गोला बारूद नौसेना के द्वारा भेजी थी लेकिन सबसे बड़ी गलती हुई कि अमेरिका के क्रांति में फ्रांस के उतरने से फ्रांस की आर्थिक स्थिति खराब हो गई। फ्रांस की आर्थिक स्थिति खराब होना यहां के नागरिकों को अच्छा नहीं लगा जिसकी वजह से फ्रांस में लोगों का सरकार के विरुद्ध असंतोष बढ़ने लगा। धीरे-धीरे चिंगारी भडंके लगी सन्न 1789 ई. में यह चिंगारी आग का रूप ले ली और फ्रांस में भी क्रांति शुरू हो गई। फ्रांस की क्रांति से आस-पास के लोगो को अधिक सीखने को मिला जिसका फल रूस के क्रांति में दिखने को मिलता है।
रूस में, लगभग 67% भूमि का स्वामित्व जमींदारों के पास था और लगभग 13% का स्वामित्व चर्च और पुजारियों के पास था। किसान अपने खेतों में मजदूरी करके अपना जीवन यापन करते थे। अपनी जमीन नहीं होने के कारण हमेशा छिन जाने का डर बना रहता था। इसीलिए 1860 में किसानों ने विद्रोह कर दिया। अगले दिन 1861 में दास प्रथा को समाप्त कर दिया गया। किसानों के पास अभी भी जमींदारों की जमीन का एक छोटा सा टुकड़ा बाकी था। सबसे बुरी बात यह थी कि जब जमींदार अपनी जमीन का एक छोटा सा टुकड़ा किसानों को देता था, तो उसे इसके लिए कर के रूप में कुछ पैसे देने पड़ते थे। (जमींदार -> खेत दिया -> किसान को -> उसके बदले वह पैसा लेता था। -> किशन अपना जीवन चलाने के लिए खुद का जमीन न होने के कारण से वह कर के रूप में जमीन लेते थे।)
रूस में उद्योग का विकास बहुत तेजी से हुआ 1850 के बाद रूस में औद्योगिक क्रांति आई। नए नए उद्योग लगने शुरू हो गए। बाहरी निवेश आने लगे पर मजदूर तो रूस के ही थे। पूंजीपति निवेशको के अपने फायदे के लिए मजदूरों की अनदेखी होने लगी। जायदा फायदे के लिए रूस की फैक्ट्री या बाहरी निवेशक मजदूरों का शोषण करने लगे। इसकी वजह के मजदूरो की रोज की जरुरत की समाने काफी मुश्किलें पूरी हो गयी थी। एस्से मजदूरो में संतोष फेल गया। एन करणो ने मिलकर रूस में क्रांति की ज्वाला भड़क उठी।
इसी बिच रूस में एक आंदोलन हुआ जो रूसी क्रांति की नीव राखी, 20वीं सदी के सुरूवत में रूस में जार निकोलस द्वितीया का साशन था, हां एक तानाशाही थी उसकी नीति जनता में लोकप्रिय नहीं थी.1905 के करीब जापान और रूस के बीच युद्ध हुए जिसका रूस हारा गया तब 1905 में रूस में जार का विरोध चरम पर पहुंच गया। 09 जनवरी 1905 को रूस मजदूर का एक भीड़ अपनी पत्नी और बच्चे के साथ जार को ग्यापन सौपने को निकला। भीड़ सेंट. पीटरबर्ग में विंटर पैलेस की ओर जा रहे थे लेकिन निरंकुश जार के सैनिकों ने गोलिया बसरा दी संत पीटरबर्ग के सदको पर खून की होली खेली गई, क्योंकि 9 जनवरी रविवार का दिन था जिस दिन को खूनी रविवार के नाम से जाना जाता है। इसमे काफ़ी परिजन मारे गए। 1905 की घटना को 1917 की क्रांति की पृष्ठभूमि कहा गया
1914 में प्रथम विश्व युद्ध शुरू हो गया, रूस अपना साम्राज्य विस्तार करना चाहता था पर सफी हानि का सामना करना पड़ा और काफी सैनिक मारे गए। इस युद्ध ने रूस को सामुहिक और आर्थिक रूप से कम्जूर कर दिया। युद्ध की लगतो के लिए सरकार ने लोगो पर बड़े-बड़े टैक्स लगा दिए। एस्से आम जनता पर अर्थिक बोझ बढ़ गया। लोगो को भुखमरी और सुरक्षा का सामना करना पड़ा। लोगो का आत्मविश्वास गिर गया लिहाजा लोगो में गुस्सा पैदा हुआ। पहले ही किशनो की दैनिक स्थिति खराब थी और उसपर से 1916-17 में अकाल पड़ जाने से लोगो ने राजशाही को जिम्मेदार माना आखिर यह गुस्सा क्रांति में तबदील हो गया
मार्च 1917 आते-आते जनता की दशा अत्यंत दयनीय हो चुकी थी उनके पास न पहनने को कपड़े थे ना खाने को अनाज परेशान होकर भूखे और ठंड सेठ होते गरीब और मजदूरों ने 7 मार्च को पेट्रोल ग्रेड के सड़कों पर घूमने आरंभ किया रोटी की दुकानों पर ताजी और गरम रोटियां के ढेर लगे पड़े थे भूखी जनता अपने आप को नियंत्रण में नहीं रख सके उन्होंने बाजार में लूटपाट करना शुरू कर दिया सरकार ने सी को क्रांतिकारी पर गोली चलाने का आदेश दिया ताकि लूटमार करने वालों को तीतर भीतर किया जा सके लेकिन सैनिकों ने गोली चलाने से साफ इनकार कर दिया उनमें भी क्रांति की भावना प्रवेश कर चुकी थी 8 मार्च को महिला श्रमिक ब्रेड के लिए सड़कों पर प्रदर्शन करने लगी इसके बाद रूस में मजदूरों की हड़ताल शुरू हो गई.
क्रांति का अगस्त 12 मार्च को सेंट पीटर्सबर्ग पर क्रांतिकारियों का कब्जा हो गया और जल्दी ही क्रांतिकारी ने मास्को को भी अपने कब्जे मिल कर लिया. जनतांत्रिक राजतंत्र की स्थापना की जाए लेकिन यर इसके लिए तैयार नहीं हुआ इसके बावजूद जुमा ने 12 मार्च को प्रांतीय सरकार का गठन कर दिया और इस तरह से रस से राजतंत्र का खत्म हो गया मजदूर और सैनिकों ने मिलकर सोवियत का गठन किया इस सोवियत ने अस्थाई सरकार का गठन किया और. ऐसे में कुछ दिन बाद ही जार को अपनी गतिव त्याग्नि पड़ी सदियों से रूस में आ रहे हैं वंश के शासन का अंत हो गया
अक्टूबर क्रांति/वोलसेविक क्रांति : लेनिन के नेतृत्व में बोलसेविकों ने सरकार के विरोध प्रदर्शन किया और सत्ता मजदूरो और किसानों के हाथ में देने की बात की। लेनिन की वोल्सेविक पार्टी किशनो को उनकी ज़मीन देने की मांग की और सोवियतों को सारी शक्ति देने का नारा शुरू हुआ और गैर रूसी के लिए भी समान अधिकार की मांग की। लेनिन ने सरकार के आगे चार मांगे राखी।
- राज्य के उत्थान और विकास के साधनों पर मजदूरों का नियंत्रण होना चाहिए
- रूस में शांति की स्थापना हो और इसके लिए सरकार विश्व युद्ध से खुद को अलग करे
- खेतिहर मजदूर और छोटे किशनो के पास जमीन का मालिकाना हक हो
- अगर रूसी लोगो को भी देश में समान दर्जा मिलना चाहिए।
यह मांग के पीछे वजह थी कि रूसी साम्राज्य एक बहु देश वाला साम्राज्य था। रूस के आधी आबादी में पोलैंड फिनलैंड, लतिया और लिथुआनिया जैसे देश के लोग भी थे। ज़ार ने गैर रूसी भाषा में छपने वाली समाचार पत्र पर पाबंधी लगाई थी। सरकार ने गैर रूसी के खिलाफ देश में नफ़रत की भावना का प्रसार किया। रूसी उनको निमना जाति के रूप में देखते थे।
भ्रष्टाचारी सरकार एन चार मांगों को ठुकरा देती है जिसे रूस में क्रांति भड़का दिया जाता है। वोल्सेविको ने सरकार भवनो, रेलवे बिजली घरो पर नियंत्रण कर लिया। 17 नवंबर 1917 को करेंस्की की सरकार गिर गई। नातिजा ये हुआ कि करनेस्की को त्याग पत्र देना पड़ा और लेनिन के नेतृत्व में राजतंत्र का खात्मा हुआ और सर्वहारा- का शासन स्थापित हो गया
जर्मनी के साथ ब्रेस्ट-लिटोवास्क की संधि के द्वार प्रथम विश्व युद्ध से रूस अलग हो गया। रूसी साम्राज्य के सबसे बड़े सामाजिक सामंत कुलीन वर्ग और चर्च के साशन की समाप्ति हुई। वर्ग वेध का ख़तमा हुआ और देश में शिक्षा का प्रसार हुआ