मोंट्रेक्स रिकॉर्ड (Montreux Record) क्या है?
Montreux Record एक सूची (Register) है जिसमें उन आर्द्रभूमियों (Wetlands) को शामिल किया जाता है जहाँ पारिस्थितिकीय विशेषताओं (ecological character) में बदलाव हो चुका है, हो रहा है, या भविष्य में होने की संभावना है।यह रामसर सम्मेलन (Ramsar Convention) से जुड़ा हुआ है, जो आर्द्रभूमियों के संरक्षण और समझदारी से उपयोग के लिए 1971 में अपनाया गया था।मोंट्रेक्स रिकॉर्ड उन आर्द्रभूमियों की पहचान करता है जिन्हें विशेष संरक्षण और सुधारात्मक कार्यों की आवश्यकता है।
पृष्ठभूमि
- रामसर सम्मेलन 1971 में ईरान के रामसर शहर में हस्ताक्षरित हुआ था।
- Montreux Record की स्थापना 1990 में Montreux, Switzerland में हुई थी, इसलिए इसका नाम "Montreux Record" पड़ा।
- इसका मुख्य उद्देश्य खतरों का सामना कर रही आर्द्रभूमियों की पहचान करना है।
मोंट्रेक्स रिकॉर्ड का उद्देश्य
- पहचान करना कि कौन-सी आर्द्रभूमियाँ खतरे में हैं।
- अंतरराष्ट्रीय सहायता और सहयोग जुटाना।
- निगरानी करना कि उन स्थलों की स्थिति कैसी है।
- सुधार कार्यों में सहायता करना।
ध्यान दें: किसी स्थल का मोंट्रेक्स रिकॉर्ड में होना दोष नहीं दर्शाता, बल्कि यह दिखाता है कि वहां सहायता और सुधार की आवश्यकता है।
मोंट्रेक्स रिकॉर्ड में शामिल करने के मानदंड
- जब किसी आर्द्रभूमि की पारिस्थितिकीय विशेषताओं में नकारात्मक परिवर्तन हो रहा हो।
- यह परिवर्तन तकनीकी विकास, प्रदूषण, भूमि उपयोग में बदलाव या अन्य मानवीय हस्तक्षेपों के कारण हो सकता है।
रिकॉर्ड से हटाना
- जब सुधार कार्यों के बाद आर्द्रभूमि की पारिस्थितिकीय विशेषताएँ सामान्य हो जाती हैं।
- तब उस स्थल को मोंट्रेक्स रिकॉर्ड से हटा दिया जाता है।
यह हटाना एक सफल संरक्षण प्रयास का संकेत होता है।
उदाहरण
विश्व स्तर पर:
- भारत के दो स्थल मोंट्रेक्स रिकॉर्ड में शामिल रहे हैं:
- केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (Keoladeo National Park, राजस्थान) — अब भी सूची में है।
- चिल्का झील (Chilika Lake, ओडिशा) — सुधार के बाद 2002 में हटाया गया।
अन्य अंतरराष्ट्रीय स्थल:
- बुरुल्लुस झील (मिस्र)
- नाकुरू झील (केन्या)
भारत के लिए महत्व
- भारत रामसर सम्मेलन का एक सदस्य देश है।
- भारत में कई रामसर स्थल हैं।
- केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान और चिल्का झील भारत की दो प्रमुख आर्द्रभूमियाँ थीं जो मोंट्रेक्स रिकॉर्ड में दर्ज हुईं।

