राष्ट्रीय पोषण सप्ताह (एनएनडब्ल्यू), भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, खाद्य और पोषण बोर्ड द्वारा शुरू किया गया वार्षिक पोषण कार्यक्रम है। यह कार्यक्रम पूरे देश में प्रतिवर्ष 1 से 7 सितंबर तक मनाया जाता है। पोषण सप्ताह मनाने का मुख्य उद्देश्य बेहत्तर स्वास्थ्य के लिए पोषण के महत्व पर जागरूकता बढ़ाना है, जिसका विकास, उत्पादकता, आर्थिक विकास और अंततः राष्ट्रीय विकास पर प्रभाव पड़ता है।

प्रत्येक वर्ष पोषण सप्ताह स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राष्ट्रीय पोषण सप्ताह मनाता है जिसमें इस अवधि के दौरान बच्चों के स्वास्थ्य की रक्षा और उनकी बेहतरी में उचित पोषण के महत्व के बारे में जन जागरूकता पैदा करने के लिए एक सप्ताह का अभियान चलाया जाता है।
राष्ट्रीय पोषण सप्ताह का इतिहास
राष्ट्रीय पोषण सप्ताह की शुरुआत मार्च 1973 में हुई थी। हालांकि भारत में राष्ट्रीय पोषण सप्ताह मनाने की शुरुआत 1982 में हुई। दरअसल, 1982 में भारत में कुपोषण के मामले काफी ज्यादा हो गए थे। कुपोषण के प्रति लोगों को जागरूक करने, कुपोषण से निपटने और संतुलित आहार को बढ़ावा देने के लिए भारत में राष्ट्रीय पोषण सप्ताह मनाने की शुरुआत की गई। 1982 से लेकर अब तक हर साल 1 से 7 सितंबर के बीच राष्ट्रीय पोषण सप्ताह मनाया जाता है। राष्ट्रीय पोषण सप्ताह के मौके पर देशभर में भारत सरकार द्वारा कई तरह के शिवर, हेल्थ कैंप्स और वेबिनार का आयोजन किया जाता है।
राष्ट्रीय पोषण सप्ताह की थीम - Theme of National Nutrition Week
इस साल राष्ट्रीय पोषण सप्ताह की थीम 'सभी के लिए पौष्टिक आहार' है।
अनुपूरक आहार क्या होते है?
केवल माँ का दूध छह महीने की अवस्था के आसपास शिशुओं के पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं होता है, इसलिए स्तनपान के साथ अन्य खाद्य पदार्थों और तरल पदार्थों की आवश्यकता होती है। स्तनपान से परिवर्तनकाल में पारिवारिक खाद्य पदार्थों की शुरूआत को अनुपूरक आहार कहा जाता है। इसमें छह महीने से लेकर चौबीस महीने की अवधि (अपितु स्तनपान दो साल और उससे ऊपर हो सकता है) शामिल है।
यह विकास की महत्वपूर्ण अवधि है, जिसके दौरान पोषण के तहत पोषक तत्वों की कमी और बीमारी का योगदान पांच साल से कम उम्र के बच्चों में अधिक दर से होता है।
शिशु एवं बाल आहार पद्यति के माध्यम से बेहतर बाल स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले महत्वपूर्ण उपाय निम्नलिखित है-
(क) गर्भावस्था से पहले एवं गर्भावस्था के समय तथा स्तनपान के दौरान पर्याप्त मातृ पोषण
(ख) स्तनपान को बढ़ावा देना
(ग) छह महीने की अवस्था में स्तनपान कराने के साथ पर्याप्त व सुरक्षित पोषण एवं अनुपूरक (ठोस) खाद्य पदार्थों की शुरुआत, जिसे दो वर्ष या उससे अधिक उम्र तक जारी रखना
स्तनपान के फायदे
बच्चों के स्वास्थ्य के लिए स्तनपान महत्वपूर्ण है। जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान नवजात शिशुओं की मृत्यु के 20 प्रतिशत मामलों को कम कर देता है। नवजात शिशुओं को जिन्हें मां का दूध नहीं मिल पाता उनकी स्तनपान करने वाले बच्चों की तुलना में निमोनिया से 15 गुना और पेचिश से 11 गुना अधिक मृत्यु की संभावना रहती है। साथ ही स्तनपान नहीं करने वाले बच्चों में मधुमेह, मोटापा, एलर्जी, दमा, ल्यूकेमिया आदि होने का भी खतरा रहता है। स्तनपान करने वाले बच्चों का आईक्यू भी बेहतर होता है।