शादी का झूठा वादा करके संबंध बनाना हमेशा नहीं होगा रेप: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि शादी का झूठा वादा करके बनाए गए शारीरिक संबंध हर मामले में बलात्कार (Rape) की श्रेणी में नहीं आएंगे। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह देखना जरूरी होगा कि क्या आरोपी की मंशा शुरू से ही धोखा देने की थी या परिस्थितियों के कारण शादी संभव नहीं हो सकी।

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अगर कोई पुरुष किसी महिला से शादी करने का वादा करता है और उनके बीच सहमति से शारीरिक संबंध बनते हैं, लेकिन बाद में शादी नहीं हो पाती, तो इसे बलात्कार नहीं माना जा सकता। हालाँकि, यदि यह साबित हो जाता है कि शादी का वादा केवल महिला को धोखा देने के इरादे से किया गया था और शुरू से ही शादी करने की कोई मंशा नहीं थी, तो इसे अपराध माना जाएगा।
फैसले के पीछे की वजह
कोर्ट ने कहा कि हर मामला अलग होता है और यह देखना जरूरी है कि शादी न करने की असली वजह क्या थी। कई बार रिश्ते आपसी सहमति से बनते हैं, लेकिन किसी कारणवश शादी संभव नहीं हो पाती। ऐसे में इसे रेप नहीं कहा जा सकता। लेकिन अगर यह साबित हो जाता है कि आरोपी ने केवल महिला को बहलाने और शारीरिक संबंध बनाने के लिए झूठा वादा किया था, तो उसे सजा मिल सकती है।
महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए महत्वपूर्ण फैसला
यह फैसला उन मामलों में संतुलन बनाएगा जहां पुरुषों के खिलाफ झूठे आरोप लगाए जा सकते हैं, वहीं यह उन महिलाओं को भी न्याय दिलाने में मदद करेगा जिनके साथ धोखा हुआ है।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला स्पष्ट करता है कि शादी का झूठा वादा करके बनाए गए संबंध हर हाल में बलात्कार नहीं माने जा सकते। यह फैसला उन मामलों में अहम भूमिका निभाएगा जहां रिश्ते आपसी सहमति से बनते हैं लेकिन बाद में किसी कारणवश शादी नहीं हो पाती। कोर्ट ने यह भी कहा कि हर केस के तथ्यों के आधार पर ही फैसला लिया जाएगा।