स्पेसएक्स ने भारत के जिस सैटेलाइट को लॉन्च किया है उसे GSAT N-2 या फिर GSAT 20 के नाम से भी जाना जाता है। इस कमर्शियल सैटेलाइट का वजन 4,700 किलोग्राम है और इसे दूरदराज के क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड सेवाएं, साथ ही यात्री विमानों के लिए उड़ान के दौरान इंटरनेट प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है।

ISRO ने स्पेसएक्स से डिमांड किया था कि इस सैटेलाइट के साथ कोई और सैटेलाइट नहीं जाएगा. ताकि इस सैटेलाइट को सही समय में सटीक ऑर्बिट में तैनात किया जा सके. तब इस काम के लिए स्पेसएक्स ने खासतौर से फॉल्कन-9बी5 रॉकेट का इस्तेमाल किया. यह 70 मीटर लंबा और 549 टन वजनी रॉकेट है. यह रॉकेट 8400 किलोग्राम वजन तक के सैटेलाइट को जियोसिंक्रोनस ऑर्बिट और 22,800 किलोग्राम वजन के सैटेलाइट को लोअर अर्थ ऑर्बिट में भेज सकता है. लॉन्चिंग के 8 मिनट बाद ही फॉल्कन-9 का पहला स्टेज वापस आ गया.
जैसे ही सैटेलाइट भारत की जमीन से 36 हजार किलोमीटर ऊपर ऑर्बिट में तैनात हुआ. हासन स्थित इसरो के मास्टर कंट्रोल फैसिलिटी ने उसका नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया. अब कुछ ही दिन में यह सैटेलाइट पूरी तरह से ऑपरेशनल हो जाएगी. इसके बाद देश को इसकी सेवाएं मिलने लगेंगी.
इस सैटेलाइट से देश में ब्रॉडबैंड कनेक्शन और इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी और मजबूत हो जाएगी. यानी उड़ान के समय पायलट ज्यादा बेहतर संचार स्थापित कर पाएंगे. इस सैटेलाइट के लॉन्च होने के बाद देश के सुदूर इलाकों (Remote Regions) में ब्रॉडबैंड इंटरनेट पहुंच जाएगा. जीसैट-एन2 का पुराना नाम जीसैट-20 है.