हरियाणा की दिव्या तंवर ने अपने संकल्प और मेहनत से यूपीएससी परीक्षा में दो बार सफलता हासिल कर मिसाल कायम की। 22 वर्ष की उम्र में आईपीएस बनने के बाद उन्होंने हार नहीं मानी और अगली बार आईएएस बनने का सपना पूरा किया। उनकी यह यात्रा संघर्ष, मेहनत और आत्मविश्वास से भरी हुई है, जो हर युवा को प्रेरित करती है।

संघर्षों से भरी शुरुआत
दिव्या का जन्म हरियाणा के एक छोटे से गांव में हुआ था। जब वह छोटी थीं, तभी उनके पिता का निधन हो गया, जिससे परिवार आर्थिक संकट में आ गया। उनकी मां ने हिम्मत नहीं हारी और सीमित संसाधनों में भी अपनी बेटी की पढ़ाई जारी रखी। दिव्या ने बचपन से ही पढ़ाई में गहरी रुचि दिखाई और कठिन परिस्थितियों के बावजूद कभी हार नहीं मानी।
एक एसडीएम से मिली प्रेरणा
दिव्या जब स्कूल में पढ़ रही थीं, तब एक बार स्कूल के वार्षिक कार्यक्रम में एक एसडीएम मुख्य अतिथि के रूप में आए। उनकी शख्सियत और समाज में उनका सम्मान देखकर दिव्या बहुत प्रभावित हुईं और तभी उन्होंने ठान लिया कि वह भी एक दिन सिविल सर्विसेज में जाएंगी।
खुद की मेहनत से की यूपीएससी की तैयारी
यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा के लिए आमतौर पर उम्मीदवार कोचिंग संस्थानों की मदद लेते हैं, लेकिन दिव्या ने अपनी मेहनत और लगन से खुद ही पढ़ाई की। उन्होंने एनसीईआरटी किताबों से शुरुआत की, पुराने प्रश्नपत्र हल किए और टेस्ट सीरीज़ से अभ्यास किया। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण उन्होंने गांव के एक स्कूल में पढ़ाने का काम भी किया, ताकि अपनी पढ़ाई का खर्च उठा सकें।
पहले प्रयास में बनीं आईपीएस
दिव्या ने 2021 में अपने पहले प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास की और 438वीं रैंक हासिल की। इस रैंक के आधार पर उन्हें आईपीएस सेवा के लिए चुना गया। 22 साल की उम्र में आईपीएस बनना अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि थी, लेकिन दिव्या का सपना इससे भी बड़ा था।

दूसरे प्रयास में बनीं आईएएस
आईपीएस बनने के बाद दिव्या ने ठान लिया कि वह आईएएस बनकर अपने सपनों को और ऊंचाई तक ले जाएंगी। उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा के लिए दोबारा तैयारी शुरू की और इस बार पहले से भी ज्यादा मेहनत की। 2023 में उन्होंने अपने दूसरे प्रयास में शानदार रैंक हासिल की और आईएएस अधिकारी बनने में सफलता प्राप्त की।
युवाओं के लिए प्रेरणा
दिव्या तंवर की कहानी यह साबित करती है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी मुश्किल सफलता की राह में बाधा नहीं बन सकती। उन्होंने साबित किया कि कठिन परिस्थितियां भी आपको रोक नहीं सकतीं, अगर आपमें आत्मविश्वास और मेहनत करने की इच्छा हो। उनकी सफलता आज लाखों युवाओं को प्रेरित कर रही है।
दिव्या तंवर का सफर केवल उनकी व्यक्तिगत जीत नहीं, बल्कि उन सभी के लिए एक प्रेरणा है जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि आत्मविश्वास, मेहनत और लगन से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।